Sawan mein puja kaise karen: सावन का महीना जिसे श्रावण के नाम से जानते है, यह महीना भगवान शिव को काफी ज्यादा प्रिय होता है, सावन मास में व्रत रहने से और पूजा पाठ करने से भगवान शिव प्रश्न होते है, और मनचाही मनोकामनाएं पूर्ण करते है।
यह महीन काफी शुभ होता है, सावन महीने में सोमवार के व्रत रहने से रुकी हुई शादिया हो जाती है।
तो इस आर्टिकल में हम आपको स्टेप बाय स्टेप बतायेगे की सावन महीने में पूजा करने की सही विधि क्या है, कैसे व्रत रहना है और कैसे भगवान शिव की प्रश्न करना है।
सावन में पूजा कैसे करे ?
- स्नान करके स्वयं को पहले शुद्ध करें, साफ़, सुथरे पारंपरिक कपड़े पहनें।
- पूजा कक्ष को साफ करें जहां पर बैठकर आप पूजा करेंगे।
- पूजा स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति, माता पार्वती, भगवान् गणेश और भगवान् नंदी के साथ स्थापित करे।
- गंगा जल, दूध, दही, शहद से मूर्तियों का जलाभिषेक करे, ॐ नम: शिवाय का उच्चारण करते हुए स्नान कराये।
- फिर शिवलिंग को ताजे फूलो, धतूरा, बेलपत्ती, सुपारी, पंचामृत और अन्य पवित्र चीज़ो से सजाये।
- इसके बाद भगवन शिव की मूर्ति के आगे घी का दीपक जलाये।
- अगरबत्ती जलाकर शिवलिंग के चारो ओर गोलाकार तरीके से घुमाये।
- इसके बाद कम से कम 9 बार आखे बंद करके ध्यान लगाकर ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करे।
- फिर धीरे धीरे साफ़ उच्चारण के साथ शिव चालीसा का पाठ करे।
- इसके बाद एक थाली में कपूर और घी का दीपक जलाकर, थाली को गोलाकार तरीके से घूमते हुए आरती करे।
- भगवान् शिव के लोकप्रिय मंत्र महा मृत्युंजय मंत्र, रुद्रम चमकम का श्रद्धा से पाठ करे।
- इसके बाद फल, मिठाई का भगवान् शिव को भोग लगाए, आशीर्वाद ले और पर्षद को बच्चो में बाट दे।
सावन के दौरान भगवान शिव को क्या चढ़ाएं ?
सावन के दौरान भगवान् शिव को गंगा जल, दूध, दही, शहद, घी और मिठाई से बना पंचामृत चढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही बेल पत्र, धतूरा और फूलो से शिवलिंग को सजना चाहिए।
कहा जाता है की सावन महीने के दौरान ही समुन्द्र मंथन हुआ था, जिसमे से निकले विष को भगवान् शिव ने पी लिए था, जिसके बाद उस विष के प्रभाव को कम करने के लिए गंगा जल और दूध अर्पित किया था। वही से भगवान् शिव का नाम नीलकंठ पड़ा था।
शास्त्रों में भी लिखा है, की भगवान् शिव को बेल पत्र और धतूरा काफी ज्यादा प्रिय है ऐसे में अगर आप सुबह को शिवलिंग पर सिर्फ जल चढ़ाते है तो साथ में बेल पत्र और धतूरा जरूर चढ़ाये।
यहां पर एक बात ओर ध्यान रखे की कभी भी सोमवार को बेल पत्र और धतूरा ना तोड़े, बल्कि रविवार को ही बेल पत्र और धतूरा तोड़कर, अपना पूजा का सामान तैयार कर ले।
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए ?
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय ॐ नम: शिवाय, श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः । स्नानीयं जलं समर्पयामि, मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम् ।तदिदं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥ श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः । स्नानीयं जलं समर्पयामि इन मंत्रो के जाप करने चाहिए।
शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए जल को तांबे की लुटिया में लेकर जाये, उसमे थोड़ा गंगा जल भी मिला ले। उसके बाद सबसे पहले शिवलिंग के नीचे वाले हिस्से में थोड़ा जल चढ़ाये उसके बाद ऊपर से जल को चढ़ाये।
इसके बाद नाग देवता पर जल चढ़ाये और नंदी भगवान पर भी जल समर्पियत करे और साथ ही जल चढ़ाते समय ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहे।
सावन में भोले बाबा को खुश कैसे करे ?
सावन महीना भोले बाबा का प्रिय महीना माना जाता है, इस महीने में श्रद्धा से पूजा पाठ करने से, रोजाना मंदिर जाकर शिवलिंग चढ़ाने से भगवान् शिव खुश होते है।
हमेशा ध्यान रखे जब भी मंदिर में जाये तो जल तांबे की लुटिया में अपने घर से लेकर जाए और साथ में बेल पत्र और धतूरा भी भगवान शिव को समर्पित करे।
इसके साथ ही शिव चालीसा और भगवान् शिव की आरती करने से भगवन शिव प्रसन्न होते है और भक्तो की मन की इच्छा को पूरी करते है।
शिवलिंग पर हमें क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?
शिवलिंग पर कभी भी भूलकर तुलसी, कुमकुम, टुटा हुआ चावल, शंख, केवड़ा, नारियल, हल्दी को नहीं चढ़ाना चाहिए, क्युकी शास्त्रों में इन चीज़ो का निषेद बताया गया है।
क्युकी तुलसी के पति शंखचुड़ का भगवान् शिव ने वध किया था, इसलिए तुलसी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाई जाती, इसी तरह शंखचुड़ शंख का प्रतीक है इसलिए शंख भी नहीं चढ़ाते और हल्दी सुंदरता का प्रतीक होती है, लेकिन भगवान् शिव तपस्वी है।
इसी तरह से चम्पा के फूलो को भी भगवान् शिव ने श्राप दिया था, यही नहीं टूटे चावलों को भी अशुद्धा माना जाता है। इसलिए इन चीज़ो को शिवलिंग पर चढ़ाने की मनाई की गयी है।